कोना एक रुबाई का
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लिए हाथ में एक छड़ी है
बादल ओढ़े धूप खड़ी है
धड़कन धड़कन भरता जाये
हर इक सीना रेत घडी है
गाँव में पक्की सड़के आयीं
पगडण्डी को मार पड़ी है
जब से मेरे साथ हुए हो
हर चेहरे पर आँख जड़ी है
तेरे जैसा ही दिखता है
आँख चाँद की बड़ी बड़ी है
आईना या तस्वीरें थी ?
दीवारों पर कील जड़ी है
मेहमानों को वक़्त दिखाती
ड्राईंग रूम में एक घडी है
“आतिश” आलू भून ले थोड़े
चूल्हे में कुछ आंच पड़ी है
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