कोना एक रुबाई का
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ख्वाब तो तेरे कच्चे हैं
अमिया जैसे खट्टे हैं
मेरे दिल के सब साए
जैसे नन्हे बच्चे हैं
अक्सर टूटा करते हैं
जीभ के जितने पक्के हैं
दुनिया में जो इन्सां हैं
कुछ हक्के कुछ बक्के हैं
तेरी याद की गौरैया के
मेरे दिल में बच्चे हैं
सहराओं में सब बादल
नागफनी ने रक्खे हैं
तेरे ख़त में हर्फ़ जो हैं
कितने हट्टे कट्टे हैं ! :O
प्यार में यूँ खिसके आगे
जैसे बस के धक्के हैं 😀
गालिब से गुलज़ार तलक
मेरे कितने चच्चे हैं 😛
नन्हा मौसम का कन्धा
ढेरों रुत के बस्ते हैं
लैला मजनू जब ठिठुरें
आतिश आंच के किस्से हैं 🙂
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