कोना एक रुबाई का
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कुछ नज्में ..लिखने वाले के लिए खास होती हैं …और कुछ नज्में सुनने वालों के लिए ..और कुछ नज्में दोनों के लिए ..मेरे पास ऐसी बहुत काम नज्में हैं जो दोनों के लिए खास हों … उन्ही नज्मों में से एक नज़्म आप सब के सामने ला रहा हूँ …
दीवारों से
टेक लगाकर
गर कुछ देर
आराम करो ,
रंग छूट कर
कपड़ों पर
आ लगता है….
तेरी रूह पे
इक दिन जानां
मेरा रोगन
लगा मिलेगा ,
कब से तू भी
मेरे दिल पर
टेक लगाकर
बैठी है ………… !
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