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लो नज़्म हुई जानां ..!!

कोना एक रुबाई का
कोना एक रुबाई का
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कुछ शोख इशारों से
कुछ फूल बहारों से
दरिया के किनारों से
चंदा से सितारों से
कोई नज़्म नहीं बनती ..

कुछ शोख इशारे , तुम
कुछ फूल बहारें , तुम
दरिया के किनारे तुम
ये चाँद सितारे ,तुम
लो नज़्म हुई जानां ..!!

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