कोना एक रुबाई का
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१
जागी जागी सी सोयी सोयी सी
ज़िन्दगी है थकी रसोई सी
तुम आओ के ये बर्तन खनकें …
२
उसकी आँखों में मैंने बाँध दी आँखें अपनी
और उसके दिल में जा कर खुल गया मैं हौले से
मुहब्बत की गिरह ..बंधे कहीं ..खुले कहीं ..
३
लिख दिया डायरी पे नाम तेरा
सहम के बैठ गया कोने में
बम फटा तो एक नज़्म निकली 😀
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