Menu
blogid : 1671 postid : 54

अपने घर को हार कर वो इक मकान जीत गयी

कोना एक रुबाई का
कोना एक रुबाई का
  • 82 Posts
  • 907 Comments

तीर का जो साथ था तो वो कमान जीत गयी
हार गया मैं ज़मीं वो आसमान जीत गयी

दिल को अपने चुप करा दिमाग की सुनी मगर
अपने घर को हार कर वो इक मकान जीत गयी

बांसुरी के साथ मिल के उसने मुझे ठग लिया
हार गए सारे सुर वो मेरा गान जीत गयी

मुन्सिफों ने केस को सुना तो फैसला दिया
हार गयी मुफलिसी औ’ आन बान जीत गयी

आतिशों ने सैकड़ों , धुंए से सुर सजाये पर
आंच ने सुनाई थी जो वो ही तान जीत गयी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh