कोना एक रुबाई का
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तीर का जो साथ था तो वो कमान जीत गयी
हार गया मैं ज़मीं वो आसमान जीत गयी
दिल को अपने चुप करा दिमाग की सुनी मगर
अपने घर को हार कर वो इक मकान जीत गयी
बांसुरी के साथ मिल के उसने मुझे ठग लिया
हार गए सारे सुर वो मेरा गान जीत गयी
मुन्सिफों ने केस को सुना तो फैसला दिया
हार गयी मुफलिसी औ’ आन बान जीत गयी
आतिशों ने सैकड़ों , धुंए से सुर सजाये पर
आंच ने सुनाई थी जो वो ही तान जीत गयी
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