कोना एक रुबाई का
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पिछले साल तक मैं आप सा था
आदमी क्या था कह लो हादसा था
शाम को पेंच ढीला ही पड़ा था
फ़लक को रात में किसने कसा था ?
पिछली बारिश का रंग गहरा था
बादल, जैसे बिलकुल फालसा* था
चाँद चेहरा है कौडियालों* का
मुझे कल रात ही इसने डंसा था
आंच सूरज में तेरे रौशनी थी
आतिश एक गहरी रात सा था
फालसा-जामुनी रंग का एक फल
कौडियालों-विषैले जीव
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