कोना एक रुबाई का
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ek halki fulki si ghazal..pichli wali utha ke thak gaya to..ye halki si is dafa…. 🙂
जब से तुम को प्यास लगी है
दरियाओं को आस लगी है
शर्माने वाली हर इक शय
मुझको तो बिंदास लगी है
मैं ,तुम, चंदा चल के बैठें
मेरे लान में घास लगी है
तेरे पांवों की हर ख़ुशबू
इन लहरों को खास लगी है
मैं हूँ, तुम हो,और उफक़* है
ये फोटो झक्कास लगी है
बालिश्तों से नाप के देखा
हर इक दूरी पास लगी है
आंच बढ़ाने में हलकी सी
आतिश की हर सांस लगी है
*kshitiz
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