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ये नासाज़* लीवर यहाँ रह गया

कोना एक रुबाई का
कोना एक रुबाई का
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ज़माना कहाँ वो कहाँ रह गया
वो माज़ी में अपने निहां* रह गया

उजाले ने धोखा दिया इस तरह
सलाखों में घुटकर धुआँ रह गया

अमूमन मोहब्बत है दिल की अदू*
ये नासाज़* लीवर यहाँ रह गया (dedicated to my jaundice 😛 😀 }

मुहब्बत के शम्मों पे नब्जें रुकीं
दिलों में धड़कता धुआँ रह गया

चली थी उसे एक मछली लिए
न जाने समंदर कहाँ रह गया

बिना चाँद के रात खाली लगी
मकीं मर गया पर मकाँ रह गया

इक फैलाव दोनों के दिल में रहा
कि आँखों के घर आसमां रह गया

ये अखबार तक बोलते हैं यहाँ
फ़क़त ये बशर* बेज़ुबाँ रह गया

रुको ..! आंच को ना ये देना खबर
ये आतिश बिचारा कहाँ रह गया

nihaan- khoya hua
adu-dushaman
nasaaz -beemar
taari -chhaa jaanaa
maqeen – rahne wala
bashar-insaan

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