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रात की एक रात :)

कोना एक रुबाई का
कोना एक रुबाई का
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सिलवट सिलवट चाँद पड़ा है,
हर कोने पे तारे हैं ,
कुछ उल्काएं हैं जो गिरी हैं
बिस्तर के सिरहाने से ,
ओस की बूंदे सुलग रही हैं
बिस्तर के पाए के पास ,
तकिये के नीचे इक
मिल्की वे कि साँसे अटकी हैं…

जाने किसके साथ गुजारी
रात ने अपनी रात यहाँ …! 😀

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