कोना एक रुबाई का
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आसमान पर शाम लगा दो
इस माथे पर बाम लगा दो
चार ही दीवारें हैं घर में
आ कर चारो धाम लगा दो
आईने के बाजारों में
मेरे अक्स का दाम लगा दो
चाँद भाग रहा है तेज़ी से
तुम रस्ते में जाम लगा दो
आतिश इक सूना साहिल है
आंच..!यहाँ इक पाम लगा दो
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