कोना एक रुबाई का
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ये जोड़ी इक राजा रानी लगती है
सीधी सादी एक कहानी लगती है
दिल भी कितनी बार सुने, झेले इसको
धड़कन की हर बात पुरानी लगती है
जंगल, वादी, सहरा दरिया ..सब सहरा
मुझको तेरी गोदी धानी लगती है
आवाजों के जमघट में सन्नाटा है
कुछ तो इसने मन में ठानी लगती है
मुझे खबर है, खुदा है, वो ना आयेगा
उसकी “हाँ” भी “आनाकानी” लगती है
आज समन्दर ने उसको कुछ यूँ देखा
नदिया शर्म से पानी-पानी लगती है
चौराहों पर मिल कर कहते सुनते हैं
हर रस्ते की एक कहानी लगती है
थोड़ी आँच ज़रा रौशनी और धुआँ भी
“आतिश” की हर इक शय फानी लगती है
http://kavita.hindyugm.com/2010/05/seedhi-sadhi-ek-kahani-lagti-hai.html
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