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बबलगम -ग़ज़ल

कोना एक रुबाई का
कोना एक रुबाई का
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दुनिया का दरबार बबलगम
जैसे खिंचता तार बबलगम

मसले ये चलते रहते हैं
इश्क मुहब्बत प्यार बबलगम

तुमने जब तनहा कर छोड़ा
बस था मेरा यार बबलगम

चिपकाया अच्छाई के सर
दुनिया ने हर बार बबलगम

पल दो पल का मीठापन है
रिश्ते , रिश्तेदार बबलगम

चिपक गया है होंठ पे आ कर
नाम तुम्हारा , यार बबलगम

आंच आतिश , लम्बी ख़ामोशी
दोनों की तकरार बबलगम

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