कोना एक रुबाई का
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कुछ अफ़साने महक रहे हैं जंगल में
तितली तितली भटक रहे हैं जंगल में
सीधे सादे बाहर बाहर लगते हैं
सारे रस्ते बहक रहे हैं जंगल में
तुम छू लो तो इनके दिल को चैन पड़े
कितने चश्मे* चटक रहे हैं जंगल में
उम्मीदों का सूरज तुम लेकर जाना
काले साए सरक रहे हैं जंगल में
विक्रम तुम बेतालों से बच कर रहना
वो पेड़ों से लटक रहे हैं जंगल में
थोड़ी आँच ज़रा रौशनी और धुआँ भी
आतिश के संग भटक रहे हैं जंगल में
चश्मे -झरने
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